Tuesday, 13 April 2010
समाधान
चलिए खोजते है कुछ समाधान हमारे समाज मै व्याप्त खामियों का...
यह तो हम सब जानते हैं की अधिकतर सरकारी नौकरियों जिनका संबध सीधे सीधे आम जन से होता है, मै नोकरी ज्वाइन करते ही एक शपथ दिलाई जाती है. शपथ के शब्द पद और विभाग अनुसार अलग अलग हो सकते है पर उसके मूल मै एक ही भावना होती है, की पद ग्रहण करने वाला अधिकारी, कर्मचारी अपने पद की गरिमा अनुसार कार्य करेगा. वह अपने देश के जनता के हित अनुसार फैंसले लेगा और कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगा जो देशहित या लोकहित मै न हो.
फिर भी क्या कारण है की हमें रोजाना समाचारपत्रों मै विभीन्न किस्म के भ्रष्टाचार संबधी समाचार पढने को मिलते है.
क्या कारण है की जब लोग सरकारी जॉब ज्वाइन करते है तब उनमे एक जोश और एक जज्बा होता है कुछ कर दिखाने का, दुनिया को बदल देने का. पर वक़्त बीतने के साथ सात वो जोश, वो जज्बा ख़तम सा हो जाता है. वो शपथ भुला दी जाती है और फिर वो खुद भी उसी भ्रष्ट तंत्र का एक हिस्सा बन जाता है बहुत ही धीरे धीरे और खामोशि के साथ की उसके अंतर्मन को भी एहसास नहीं हो पाता इस बदलाव का.
एक हल है इसका, जिसके इस्तेमाल से इमानदार लोगो को हम इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन ने से रोक पाए.
एक सरल उपाय -
जब कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी ज्वाइन करे, उसे ज्वाइन करने से पहले, समाज मै व्याप्त खामियों पर लिखने को कहा जाये. अगले दो आलो मै अपने पद/विभाग से संबधित खामियों को वो किस प्रकार दूर करेगा ये भी लिखने को कहा जाये. अब भर्ती बोर्ड उसके लिखे को लेमिनेट और फ्रेम करवा कर उसके कार्यालय के बाहर लगवाया जाये (यदि वो अधिकारी है) अन्यथा उसे कर्मचारी की टेबल पर रखने को कहा जाये जिस से की वो खुद अपने बात को रोजाना पढ़े और उसके कार्यालय मै आने वाले लोग भी उसे पढ़े.
एक छोटी सी पहल हो सकती है ये. यदि इसे लागू किया जाये.
अगले समाधान के लिए पढ़ते रहिये.
जल्द ही हाज़िर होऊंगा कुछ नया लेकर.
Raaj
यह तो हम सब जानते हैं की अधिकतर सरकारी नौकरियों जिनका संबध सीधे सीधे आम जन से होता है, मै नोकरी ज्वाइन करते ही एक शपथ दिलाई जाती है. शपथ के शब्द पद और विभाग अनुसार अलग अलग हो सकते है पर उसके मूल मै एक ही भावना होती है, की पद ग्रहण करने वाला अधिकारी, कर्मचारी अपने पद की गरिमा अनुसार कार्य करेगा. वह अपने देश के जनता के हित अनुसार फैंसले लेगा और कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेगा जो देशहित या लोकहित मै न हो.
फिर भी क्या कारण है की हमें रोजाना समाचारपत्रों मै विभीन्न किस्म के भ्रष्टाचार संबधी समाचार पढने को मिलते है.
क्या कारण है की जब लोग सरकारी जॉब ज्वाइन करते है तब उनमे एक जोश और एक जज्बा होता है कुछ कर दिखाने का, दुनिया को बदल देने का. पर वक़्त बीतने के साथ सात वो जोश, वो जज्बा ख़तम सा हो जाता है. वो शपथ भुला दी जाती है और फिर वो खुद भी उसी भ्रष्ट तंत्र का एक हिस्सा बन जाता है बहुत ही धीरे धीरे और खामोशि के साथ की उसके अंतर्मन को भी एहसास नहीं हो पाता इस बदलाव का.
एक हल है इसका, जिसके इस्तेमाल से इमानदार लोगो को हम इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन ने से रोक पाए.
एक सरल उपाय -
जब कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी ज्वाइन करे, उसे ज्वाइन करने से पहले, समाज मै व्याप्त खामियों पर लिखने को कहा जाये. अगले दो आलो मै अपने पद/विभाग से संबधित खामियों को वो किस प्रकार दूर करेगा ये भी लिखने को कहा जाये. अब भर्ती बोर्ड उसके लिखे को लेमिनेट और फ्रेम करवा कर उसके कार्यालय के बाहर लगवाया जाये (यदि वो अधिकारी है) अन्यथा उसे कर्मचारी की टेबल पर रखने को कहा जाये जिस से की वो खुद अपने बात को रोजाना पढ़े और उसके कार्यालय मै आने वाले लोग भी उसे पढ़े.
एक छोटी सी पहल हो सकती है ये. यदि इसे लागू किया जाये.
अगले समाधान के लिए पढ़ते रहिये.
जल्द ही हाज़िर होऊंगा कुछ नया लेकर.
Raaj
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment